6.6 करोड़ साल पहले हुई थी सामूहिक विनाश की घटना, महासागर में हुआ था ये बुरा असर

  • शोध में हुआ है ये खुलासा


विज्ञान और तकनीक

नई दिल्ली: समय-समय पर की चौंकाने वाले शोध होते रहते हैं। इनमें हमें कई तरह की अहम जानकारियां भी मिलती है। ऐसा ही एक शोध अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। उनके मुताबिक, 6.6 करोड़ साल पहले पृथ्वी में उल्कापिंडों के गिरने से जो सामूहिक विनाश की घटना हुई। उसमें कई जीव-जंतुओं का समूल नाश हो गया था। इसी दौरान पृथ्वी के वातावरण में सल्फर की मात्रा बढ़ गई थी, जिससे यहां के महासागर और ज्यादा अम्लीय हो गए थे।
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इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने के-पीजी विलुप्ति की घटना से पहले के प्लैंकटन के जीवाश्मों की रासायनिक संरचना का विश्लेषण किया और बाद में समुद्री पर्यावरण में आए बदलावों का डाटा तैयार किया। प्लैंकटन उन जीवों को कहते हैं जो जलधारा द्वारा प्रवाहित होते रहते हैं। ये जीव समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा होते हैं। अध्ययन में पाया गया था कि कुछ समुद्री जीवों के सामूहिक विनास की घटना के दौरान सफाया हो गया था।अध्ययन में ये दावा किया गया है ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि समुद्र का पानी बहुत ज्यादा अम्लीय हो गया था।
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शोधकर्ताओं के मुताबिक, ये एक महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि ये कैल्सीफायर समुद्री खाद्य शृंखला का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और आज भी हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए हुए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, नए निष्कर्ष सामूहिक विनाश की घटना के दौरान समुद्र में अम्लीकरण के परिणामों के बारे में मौजूदा दो सिद्धांतों के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हैं। स्ट्रेंजेलोव ओशियन सिद्धांत के मुताबिक, के-पीजी घटना के बाद सागर मृत हो गया था और इसमें कार्बन पोषक तत्वों की सामान्य साइकलिंग बंद हो गई थी। लेकिन समुद्र की सतह पर भोजन के लिए आने वाले कई जीवों पर इसका असर नहीं पड़ा था।

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