वा, चौथे स्टेज के कैंसर में भी बच जाएगा मरीज!
- शोध में पाया है कि कैंसर किसी भी स्टेज में हो उसका इलाज करना संभव होगा
- ऐसे वायरस की खोज की गई है जो कैंसर से लड़ने में कारगर साबित होगा


चूहों पर किया गया परीक्षण
वैज्ञानिकों ने इस वायरस को वैक्सीनिया सीएफ-33 नाम दिया है। ये वायरस आमतौर पर सर्दी-जुकाम से बनते हैं। जब इस वायरस को कैंसर से मिलाया गया तो परिणाम बेहद चौंकाने वाले थे। फ़िलहाल इस प्रयोग को चूहों पर किया गया है। इस वायरस ने चूहों में बने ट्यूमर को सिकोड़कर काफी छोटा कर दिया। गौरतलब है कि, शुरूआती समय में इस वायरस का प्रयोग ब्रेन कैंसर के लिए किया गया था।

अमरीका ने सबसे पहले शुरू किया इसका प्रयोग
सबसे पहले अमरीका में हुए इस प्रयोग में वैज्ञानिकों को कुछ ही हद तक सफलता मिली थी। उन्होंने पाया कि कुछ मरीजों के ट्यूमर एकदम ही ख़त्म हो गया जबकि कुछ मरीजों का ट्यूमर छोटा हो गया था। अमरीका के बाद ऑस्ट्रेलिया ने इसका प्रयोग दवा के रूप में किया। ऑस्ट्रेलिया की बायोटेक कंपनी इम्यूजीन नाम की इस दवा को तैयार किया है। बता दें कि इस दवा को बनाने के पीछे अमेरिकी वैज्ञानिक और कैंसर विशेषज्ञ प्रोफेसर यूमान फॉन्ग का हाथ है।
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